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व्यापार वृद्धि हेतु यज्ञ : हवन-यज्ञ एक सकाम श्रेष्ठ शुभ कर्म है। यज्ञ करने के पीछे यजमान की कोई-न-कोई मनोकामना अवश्य होती है। भौतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए ऋषियों ने यज्ञ करने को कहा है। वैदिक यज्ञ प्रणालि में आरोग्य, धन, व्यापार आदि की वृद्धि के लिए मंत्र प्रयोग में आये हैं। अनेक वेद की ऋचाओं का प्रयोग व्यापार, रोजगार आदि में उन्नति के लिए हवन-यज्ञ में किया जाता रहा है और उसी वैदिक विधि-विधान से हमारे पुरोहित यजमान की कामनाओं के अनुकूल यज्ञ एवं अनुष्ठान कार्य करते हैं। सबकी इच्छा रहती है कि हम धन से सम्पन्न हो लेकिन ग्रह-दोष, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं अन्य कई कारणों से आर्थिक वृद्धि में व्यवधान आ जाता है जिससे हम काफी परेशान हो जाते हैं। इसी परेशानी को दूर करने के लिए ‘व्यापार उन्नति यज्ञ’ करने का विशेष नियम है। जब वैदिक रीति से विशेष औषधियों, समिधाओं एवं मंत्रों का चयन करके यज्ञकुण्ड में आहुतियाँ दी जाती हैं तो उसका प्रभाव सूक्ष्म रूप से यजमान के जीवन पर पड़ता है। इस यज्ञ को करने में 3 घंटा समय लगता है। दो पुरोहित मिलकर कुबेर यज्ञ को संपन्न करते हैं। व्यापार-वृद्धि यज्ञ में गौ-सेवा एवं गौ-पूजा का भी बहुत बड़ा महत्त्व है। यज्ञ विधि के क्रम में गौ-सेवा के विषय में पुरोहितों के द्वारा प्रायः बतलाया जाता है। सुख, समृद्धि के लिए गौ सेवा अवश्य करनी चाहिए।