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मानसिक एवं आन्तरिक शान्ति हेतु यज्ञ : आज लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। मानसिक तनाव, अवसाद एवं नकारात्मक चिंतन के कारण अनिद्रा, बेचैनी, घबराहट आदि अनेक मानसिक विकृतियाँ बढ़ती जा रही हैं। मन एवं बुद्धि नकारात्मक विचारों के घेरे में फँसकर व्यक्ति को परेशान करते रहते हैं। ऐसे में ‘आन्तरिक शान्तिप्रद यज्ञ’ करने से बहुत लाभ मिलता है। इस यज्ञ से निराशायुक्त जीवन आशाओं से भरने लगता है। मन एवं बुद्धि में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होने लगता है तथा व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ जीवन के प्रत्येक कार्यों को करने में सक्षम होने लगता है। मंत्रों में अद्भुत शक्ति होती है। वैदिक मंत्रों के प्रभाव से एवं ईश्वर से भाव युक्त होकर प्रार्थना करने से शीघ्र लाभ मिलने की संभावनारहती है। औषधियों के सूक्ष्म प्रभाव भी मानसिक दशा को बदलने में सहायता करते हैं। वैदिक काल में भी मानसिक शान्ति एवं आंतरिक शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया जाता था और वेदों में इस वर्णन भी मिलता है। वैदिक हवन यज्ञ में विशेष रूप से उन ऋचाओं को लेकर हवन किया जाता है जिसका लक्ष्य यजमान धारण किये रहता है। आन्तरिक शान्तिप्रद यज्ञ करने से अनेकों लाभ मिलते हैं जैसे- नकारात्मक विचार धीरे-धीरे कम होने लगता है, निर्णय लेने की क्षमता का उत्तरोत्तर विकास होने लगता है, मानसिक शान्ति की प्राप्ति होने लगती है, जीवन में विशेष परिवर्तन का अनुभव होने लगता है। इस यज्ञ को करने में 2 पुरोहितों की आवश्यकता पड़ती है। लघु रूप में करने से 3 घंटा का समय एक दिन में लगता है। इसी को वृहद रूप में भी किया जाता है जिसमें 7 पुरोहित मिलकर 7 दिनों में विधिपूर्वक हवन-यज्ञ करके सम्पन्न करते हैं।