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कालसर्प दोष निवारण यज्ञ : अग्र में राहु तथा नीचे में केतु एवं मध्य में बाकी सातों ग्रह उपस्थित हो तो कालसर्प योग माना जाता है। कालसर्प योग के प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति अनेक विघ्न-बाधाओं से घिरा रहता है। जातक को मानसिक अशान्ति का अनुभव होता रहता है। धन की प्राप्ति करना चाहता है परन्तु धनप्राप्ति में अनेक विघ्नों का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी निरास भी होना पड़ता है। इस दोष के कारण गृहस्थ-जीवन में कलह-झंझट प्रायः देखने को मिलते हैं। जातक को कालसर्प दोष के कारण अनेक नकारात्मक स्पप्न भी आता रहता है। जीवन में कुछ-न-कुछ अशुभ होने की आशंका इस दोष के कारण बनी रहती है। ऐसी दशा में ‘कालसर्प दोष निवारण यज्ञ’ विशेष रूप से लाभकारी होता है। जातक को यज्ञ कराने के कुछ ही दिन बाद इसका अनुभव भी होने लगता है। जातक की क्षमता एवं कार्यकुशलता में वृद्धि होने लगती है। कालसर्प दोष के कारण पित्तजन्य रोग भी उत्पन्न होते हैं जो इस यज्ञ से धीरे-धीरे दूर होने लगता है। इस यज्ञ को लघु रूप में एक दिन का समय लगता है तथा 3 पुरोहित मिलकर यज्ञ को सम्पन्न करते हैं। आंशिक काल सर्प योग के लिए लघु एवं जातक की इच्छानुसार वृहद यज्ञ भी कराया जा सकता है। वृहद कालसर्प दोष निवारण यज्ञ में सात दिन का समय लगता है। नियमपूर्वक प्रतिदिन 7 पुरोहित मिलकर दोष निवारण के लिए जप एवं यज्ञ कार्य करते हैं। इस दोष के निवारणार्थ 18000 केतु मंत्र का जप भी किया जाता है। केतु की दशा अन्तर्दशा में करवाना अत्यंत लाभकारी होता है।