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गृह प्रवेश अथवा गृह शान्ति यज्ञ : नवीन गृह निर्माण करने पर उस स्थान की वास्तु पूजा की जाती है जिससे घर में कोई विघ्न बाधा न आए या पुराना घर है और वास्तु पूजन नहीं हुआ है तो उसकी वास्तु-शांति के निमित्त यह ‘गृह शान्ति यज्ञ’ का अनुष्ठान किया जाता है, जिससे गृह-क्लेश आदि की निवृत्ति हो जाये। अक्सर देखा जाता है कि नया घर लेने पर यदि बिना वास्तु पूजा के प्रवेश किया जाता है तो वास्तु दोष के रहने पर अनेक गृह-समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं। घर में अशान्ति फैलने लगता है। घर में प्रायः कुछ-न-कुछ अशुभ घटना या कलह हो जाया करता है। ऐसी दशा में ‘गृह शान्ति यज्ञ’ बहुत फलदायी एवं शान्तिप्रद होता है। यदि नवीन गृह का निर्माण करके उसमें प्रवेश करने का विचार बन रहा है तो वास्तु पूजन अवश्य कराना चाहिए। इससे गृह-क्लेश का निवारण होता है। वैदिक मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण एकाग्रता के साथ विविधपूर्वक कराया गया गृह प्रवेश अथवा गृह शान्ति यज्ञ अनेक गृह-सुखों की वृद्धि कर पारिवारिक जीवन को सुखमय एवं शान्तिमय बनाने में सहयोग करता है। इस यज्ञ को करने में एक दिन का समय लगता है। दो पुरोहित मिलकर इस शुभ कार्य को सम्पन्न करते हैं।